आसींद का बंक्यारानी माता मंदिर: आस्था, इतिहास और चमत्कार का संगम
आसींद के बंक्यारानी माताजी मंदिर में नवरात्र की आस्था का महासंगम

भीलवाड़ा। जिले की आसींद तहसील में स्थित बंक्यारानी माताजी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। विशेष रूप से नवरात्र के दौरान यहां भक्तों का विशाल जनसैलाब उमड़ता है। यह मंदिर आसींद के माताजी खेड़ा गांव में स्थित है और चारों ओर से हरियाली से घिरा हुआ है।
मंदिर का धार्मिक एवं भौगोलिक महत्व
बंक्यारानी माता मंदिर आसींद से 12 किमी दूर आसींद-शाहपुरा मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर एक ऊँचे पहाड़ पर स्थित है, जिससे इसकी प्राकृतिक सुंदरता और अधिक मनोरम हो जाती है। मंदिर परिसर में हनुमानजी एवं भगवान भैरव के मंदिर भी हैं। इसके अलावा, यहां एक प्राचीन तालाब भी स्थित है, जिसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
नवरात्रि के दौरान मंदिर परिसर में विशेष श्रृंगार और पूजन किया जाता है, जिससे यहां का वातावरण भक्ति और श्रद्धा से भर जाता है। भक्तों का मानना है कि जो भी माता के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

बंक्यारानी माता की महिमा और प्रचलित कथा
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, माता बंक्यारानी ने बकेसुर नामक राक्षस का वध कर बांकेगढ़ में प्रकट हुई थीं। इसके बाद, आकाश मार्ग से यात्रा करते हुए जब वे आमेसर के जंगलों से गुजरीं, तो वहां बाल-गोपाल पशु चरा रहे थे। माता को देख वे चिल्ला उठे, जिससे माता ने अपनी यात्रा रोक दी और वर्तमान स्थल पर पाषाण रूप में स्थापित हो गईं।
एक अन्य कथा के अनुसार, ईसरदास पंवार नामक व्यक्ति की कोई संतान नहीं थी। माता की कृपा से उसे एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन माता से किए बलिदान के वचन को भूल गया। जब उसका पुत्र 12 वर्ष का हुआ, तो उसने स्वयं को माता के चरणों में समर्पित कर दिया। कहा जाता है कि उसका कटा हुआ शीश सोने की थाली में रखा मिला। आज भी मंदिर परिसर में उस कटे हुए धड़ पर शीश रखे हुए की एक मूर्ति स्थित है, जो माता के चमत्कार को दर्शाती है।
नवरात्र में लगता है विशाल मेला
प्रत्येक शारदीय और चैत्र नवरात्रि में यहां भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। इन दिनों विशेष पूजा-अर्चना एवं भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु शनिवार और रविवार को विशेष रूप से यहां दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त पास के हनुमान मंदिर भी अवश्य जाते हैं, जहां एक विशेष कुंड में स्नान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
बंक्यारानी माता पर बनी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म
मंदिर की आध्यात्मिक और चिकित्सा संबंधी विशेषताओं को दर्शाने के लिए मिसेज बचानी द्वारा “ऑयज शॉप स्टोन” नामक फिल्म बनाई गई थी। यह फिल्म फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में स्वर्ण पदक से नवाजी गई। शोधकर्ताओं, फिल्म निर्माताओं, गायक कलाकारों और आस्थावान लोगों का नवरात्र के समय यहां आना-जाना लगा रहता है।
श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और मंदिर की महत्ता
बंक्यारानी माता का मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है। भक्तों का विश्वास है कि यहां आने मात्र से उनके रोग, दुख और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं। नवरात्र के नौ दिन तक कई परिवार मंदिर परिसर में प्रवास करते हैं और माता के चरणों में अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
नवरात्र, शनिवार और रविवार को मंदिर में विशेष भीड़ उमड़ती है, जिससे यहां मेले जैसा वातावरण बन जाता है। सरकार द्वारा इस मंदिर की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया है, जो मंदिर के विकास और सुविधाओं में सुधार के लिए कार्यरत है।
बंक्यारानी माताजी का मंदिर न केवल आस्था और भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह स्थान संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है। भक्तों के लिए यह एक दिव्य ऊर्जा स्थल है, जहां माता की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। नवरात्र में यहां आकर श्रद्धालु आध्यात्मिक सुख और मानसिक शांति का अनुभव करते हैं।