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कवि कैलाश मण्डेला कोलकाता में हुए सम्मानित

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मूलचंद पेसवानी
जिला संवाददाता

मूलचंद पेसवानी वरिष्ठ पत्रकार, जिला संवाददाता - शाहपुरा / भीलवाड़ा 
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साहित्य सृजन कला संगम के सचिव, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं साहित्यकार डॉ.कैलाश मण्डेला को कोलकाता के ऐतिहासिक माहेश्वरी पुस्तकालय के १११वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में राजस्थानी भाषा के स्तम्भकार एवं लेखक पं.बंशीधर शर्मा द्वारा ’कविश्री भगवतीप्रसाद चैधरी स्मृति ष्तुलसी-चन्नण सम्मानष् प्रदान किया गया।


सम्मान के निमित्त 25 हजार रुपए तथा स्मृति चिह्न, दुपट्टा आदि भेंट किए गए। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित कवि मण्डेला भीलवाड़ा जिले के पहले साहित्यकार हैं जो केन्द्रीय साहित्य अकादमी से भी पुरस्कृत हो चुके हैं। इस अवसर अन्य सम्मान कार्यक्रम के अतिरिक्त मातृभाषा राजस्थानी का एक विराट कवि सम्मेलन स्थानीय कला-मन्दिर प्रेक्षागृह में किया गया जिसमें राजस्थानी भाषा के कवि कल्याण सिंह शेखावत, शंकर सिंह राजपुरोहित, मोनिका गौड़ तथा कैलाश दान कविया ने काव्यपाठ किया।

कार्यक्रम का प्रारंभिक संचालन पुस्तकालय सचिव संजय बिन्नाणी ने तथा कवि सम्मेलन का संचालन कैलाश मण्डेला ने किया। राजस्थान सूचना केन्द्र कोलकाता के प्रभारी एवं सूचना व जन सम्पर्क विभाग, राजस्थान सरकार के सहायक निदेशक हिंगलाजदान रतनूँ ने मायड़़ भाषा राजस्थानी भाषा-संस्कृति और कवि सम्मेलन के महत्त्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पधारे कवियों को पुस्तकालय से जुड़े़ कवियों की स्मृति में सम्मानित किया गया।

मायड़़ भाषा हेत आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधान वक्ता के रूप में बोलते हुए, प्रबुद्ध चिन्तक सीताराम शर्मा ने मातृभाषा के महत्त्व पर प्रकाश डाला। प्रधान अतिथि विकास माधोगढ़िया ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन, मायड़़ भाषा भासा के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं। माहेश्वरी सभा के सभापति बुलाकीदास मिम्माणी ने सभा और उसकी शाखाओं की गतिविधियों की जानकारी दी। समारोह अध्यक्ष, कवयित्री शकुन्तला करनाणी (चेन्नई) ने ष्निज भाषाष् से अपनी संस्कृति और पहचान से जुड़ाव की बात करते हुए, युवा पीढ़ी को मायड़़ भाषा से जोड़ने की आवश्यकता बताई। इससे पहले, वनबंधु समाजसेविका शान्ता सारड़ा ने सरस्वती के चित्र पर शतदल अर्पण कर, समारोह का उद्घाटन किया। पुस्तकालय के अध्यक्ष, विश्वनाथ चाण्डक ने आगन्तुकों का स्वागत किया तथा उपाध्यक्ष, राधेश्याम झँवर ने धन्यवाद दिया।

पुस्तकालय की शतदल अर्पण कार्यक्रम शृंखला के अन्तर्गत राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए जनजागरण अभियान के रूप में, मायड़़ भाषा हेत शीर्षक कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि पुस्तकालय के संस्थापकों को प्रणाम निवेदित करने ही कवि सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस अवसर को रेखांकित करते हुए, राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए संघर्षरत लाडेसर रतन शाह को ष्मायड़़ भाषा हेत सम्मानष् से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में अशोक लढ्ढा, राजकुमार डागा, संगीतालय मंत्री महेश दम्माणी, जयन्त डागा, मुकेश बिन्नाणी, पञ्चानन भट्ठड़, किशोर दम्माणी, देवेन्द्र बागड़ी, आदित्य बिन्नाणी आदि सक्रिय रहे। परचम के संस्थापक मुकुंद राठी, सभा मंत्री पुरुषोत्तम दास मूँधड़ा, सेवा समिति मंत्री अरुण सोनी, समाजोत्थान समिति मंत्री मनमोहन राठी सहित बहुत से संस्थाओं के पदाधिकारी और महानगर के गण्य मान्य जन इस अवसर पर उपस्थित रहे।

Khushal Luniya

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